लेखनी प्रतियोगिता -08-Mar-2022
आरजू
आरजू कभी ना थी तेरे दर पर आने की
बेवजह अपना ज़मीर गिराया हमने।
आज वो दिन है के टूट कर चाहने के
बावजूद, तूने नीचे ही दिखाया है।
तेरी औकात क्या थी तुझे इस
काबिल बनाया भी हमने।
तब उम्र कम जज्बात ज्यादा थे
हम नासमझ थे ना ख्वाब ज्यादा थे।
अब उम्र का तकाज़ा ये हो रहा है
की सब कुछ खो दिया हमने
ना दिल ही सलामत रहा ना
तूने ख्वाब ही जिंदा छोडे,
इस मुकद्दर में केवल
ग़म ही लाकर छोड़ें।
बेशक तेरे साथ हूँ
लेकिन आरजू यही रहेगी
टूटे तेरा हर ख्वाब तेरी ही
आँखों के सामने अब
बद्दुआ ये मेरी रहेगी।
Deepika
11-Mar-2022 12:04 AM
Bhut khoob
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Shrishti pandey
09-Mar-2022 02:04 PM
Nice
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Punam verma
09-Mar-2022 11:18 AM
Nice
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